⛳शिवाजी महाराज जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!⛳

  • Feb 19 , 2022
  • SHREE GODHAM MAHATEE... .

श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा

Details छत्रपति शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमानी, शौर्यवीर और दयालु शासक थे। उनका जन्म 19 फरवरी 1627 को मराठा परिवार में महाराष्ट्र के शिवनेरी में हुआ। शिवाजी के पिता शाहजी और माता जीजाबाई थीं। माता जीजाबाई धार्मिक स्वभाव वाली होते हुए भी गुण-स्वभाव और व्यवहार में वीरंगना नारी थीं।

इसी कारण उन्होंने बालक शिवा का पालन-पोषण रामायण, महाभारत तथा अन्य भारतीय वीरात्माओं की उज्ज्वल कहानियां सुना और शिक्षा देकर किया था। बचपन में शिवाजी अपनी आयु के बालक इकट्ठे कर उनके नेता बनकर युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेला करते थे।

 

दादा कोणदेव के संरक्षण में उन्हें सभी तरह की सामयिक युद्ध आदि विधाओं में भी निपुण बनाया था।

धर्म, संस्कृति और राजनीति की भी उचित शिक्षा दिलवाई थी। उस युग में परम संत रामदेव के संपर्क में आने से शिवाजी पूर्णतया राष्ट्रप्रेमी, कर्त्तव्यपरायण एवं कर्मठ योद्धा बन गए।

परिवार एवं गुरु : छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह सन् 14 मई 1640 में सइबाई निंबालकर के साथ हुआ था। उनके पुत्र का नाम संभाजी था। संभाजी शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी थे जिसने 1680 से 1689 ई. तक राज्य किया। संभाजी में अपने पिता की कर्मठता और दृढ़ संकल्प का अभाव था। संभाजी की पत्नी का नाम येसुबाई था। उनके पुत्र और उत्तराधिकारी राजाराम थे। शिवाजी के समर्थ गुरु रामदास का नाम भारत के साधु-संतों व विद्वत समाज में सुविख्यात है।

शिवाजी का पराक्रम : युवावस्था में आते ही उनका खेल वास्तविक कर्म शत्रु बनकर शत्रुओं पर आक्रमण कर उनके किले आदि भी जीतने लगे। जैसे ही शिवाजी ने पुरंदर और तोरण जैसे किलों पर अपना अधिकार जमाया, वैसे ही उनके नाम और कर्म की सारे दक्षिण में धूम मच गई, यह खबर आग की तरह आगरा और दिल्ली तक जा पहुंची। अत्याचारी किस्म के यवन और उनके सहायक सभी शासक उनका नाम सुनकर ही मारे डर के बगलें झांकने लगे।

शिवाजी के बढ़ते प्रताप से आतंकित बीजापुर के शासक आदिलशाह जब शिवाजी को बंदी न बना सके तो उन्होंने शिवाजी के पिता शाहजी को गिरफ्तार किया। पता चलने पर शिवाजी आग बबूला हो गए। उन्होंने नीति और साहस का सहारा लेकर छापामारी कर जल्द ही अपने पिता को इस कैद से आजाद कराया। तब बीजापुर के शासक ने शिवाजी को जीवित अथवा मुर्दा पकड़ लाने का आदेश देकर अपने मक्कार सेनापति अफजल खां को भेजा। उसने भाईचारे व सुलह का झूठा नाटक रचकर शिवाजी को अपनी बांहों के घेरे में लेकर मारना चाहा, पर समझदार शिवाजी के हाथ में छिपे बघनख का शिकार होकर वह स्वयं मारा गया। इससे उसकी सेनाएं अपने सेनापति को मरा पाकर वहां से दुम दबाकर भाग गईं।

छत्रपति शिवाजी महाराज एक भारतीय शासक थे जिन्होंने मराठा साम्राज्य खड़ा किया था इसीलिए उन्हें एक अग्रगण्य वीर एवं अमर स्वतंत्रता-सेनानी स्वीकार किया जाता है। वीर शिवाजी राष्ट्रीयता के जीवंत प्रतीक एवं परिचायक थे। इसी कारण निकट अतीत के राष्ट्रपुरुषों में महाराणा प्रताप के साथ-साथ इनकी भी गणना की जाती है।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती महाराष्ट्र में वैसे तो 19 फरवरी को मनाई जाती है लेकिन कई संगठन शिवाजी का जन्मदिवस‍ हिन्दू कैलेंडर में आने वाली तिथि के अनुसार मनाते हैं। उनकी इस वीरता के कारण ही उन्हें एक आदर्श एवं महान राष्ट्रपुरुष के रूप में स्वीकारा जाता है। छत्रपति शिवाजी महाराज का 3 अप्रैल 1680 ई. में तीन सप्ताह की बीमारी के बाद रायगढ़ में स्वर्गवास हो गया।

उपसंहार : यूं तो शिवाजी पर मुस्लिम विरोधी होने का दोषारोपण किया जाता है, पर यह सत्य इसलिए नहीं कि क्योंकि उनकी सेना में तो अनेक मुस्लिम नायक एवं सेनानी थे तथा अनेक मुस्लिम सरदार और सूबेदारों जैसे लोग भी थे। वास्तव में शिवाजी का सारा संघर्ष उस कट्टरता और उद्दंडता के विरुद्ध था, जिसे औरंगजेब जैसे शासकों और उसकी छत्रछाया में पलने वाले लोगों ने अपना रखा था।

पथमेड़ा न्यास की एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारीणी बैठक हुई संपन्न |

  • Feb 17 , 2022
  • Shri godham Mahateer... .

17-फरवरी 2022, नारायनी हाईइट्स, अहमदाबाद...

Details श्री सुरभ्यै नमः
दिनांक 17-2-22 को  श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा लोक पुण्यार्थ न्यास की एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारीणी बैठक का आयोजन संस्थापक श्रद्धेय गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानंदजी महाराज के पावन सानिध्य एवं श्री आर के अग्रवालजी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक मे राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों की गरिमापूर्ण उपस्थिती में गोसेवा महाभियान को राष्ट्रव्यापी तथा सर्वग्राह्य बनाने हेतू अत्यंत महत्वपूर्ण सहयोगात्मक निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किए गए:
- गोमहिमा सत्संग प्रवास एवं गोग्रास निधि संकलन करना।
(पुज्य गोउपासक संत महात्माओं एवं गोभक्त कार्यकर्ताओं द्वारा)
- गोग्रास हेतू घास चारा, पोष्टीक आहार की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
(पुज्य गोउपासक संत महात्माओं एवं गोभक्त कार्यकर्ताओं द्वारा)
- वेदलक्षणा गोवंश से प्राप्त गोमय, गोमुत्र खाद का निर्माण एवं विधिपुर्वक विनियोग सुनिश्चित करना।
(गोशाला संचालन समुह तथा वैदिक गो उत्पाद फाऊडेशन द्वारा)
-वेदलक्षणा गोदुग्धान्न एवं गोकृषी अन्न का उत्पादन व आपूर्ति सुनिश्चित करना।
(वैदिक गोउत्पाद फाऊडेशन तथा वेदलक्षणा पंचगव्य निर्माता कंपनीयां) 
- चातुर्मास गोमंगल महोत्सव एवं गोनवरात्र सुरभि महायज्ञ का आयोजन। 
स्थान कांकरीया व साबरमती तट कर्णावती।
(आयोजक-श्री गोधाम महातीर्थ पथमेखा शाखा गुजरात) 
- वर्तमान कार्यकारिणी का विसर्जन एवं नवीन कार्यकारिणी गठित करना। 
-वेदलक्षणा गोगंगा सेवा संसद-2022
स्थान-स्वर्गाश्रम, गंगातट, ऋषिकेश  दिनांक 9/10/11 अप्रैल 2022
श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेङा के प्रधान संरक्षक महोदय ने उपरोक्त समय पर्यन्त वर्तमान  कार्यकारिणी के  पदाधिकारीयों से सभी प्रकार के सेवा कार्यों का दायित्व निर्वहन करने मार्गदर्शन प्रदान किया।
।। जय श्री कामधेनु कृष्ण ।।

मौनी अमावस्या

  • Feb 01 , 2022
  • .

श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा

Details श्री सुरभ्यै नमः 
परमात्मीय श्रीमान् गोभक्त सज्जनो सादर सप्रेम हरिस्मरण जयगोमाता जय गोपाल।
आज *विशेष पुण्यार्जन का दिन मोनी अमावस्या* है शास्त्रो मे इस दिन गौग्रास समर्पण करने  का भारी महात्म्य बताया है। लोक प्रसिद्ध गोसेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के *संस्थापक श्रद्धेय गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानंदजी महाराज* के पावन सानिध्य में स्थापित एवं संचालित 64 से अधिक गोसेवा प्रकल्पों में सेवित 1 लाख 51 हजार से अधिक निराश्रित गोवंश के गोग्रास समर्पण का सुअवसर हम सभी को प्राप्त हो रहा है। *आप स्वयं तो गोग्रास अर्पित करते रहते ही हैं और आज भी अवश्य करें, साथ ही अपने मित्रों, रिश्तेदारों, पड़ोसीयों ओर ग्राहको को भी गोग्रास समर्पण हेतु प्रेरित कर पुण्यवर्धन करने का आपसे  विनम्रतापूर्वक आग्रह।*
श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा की गोसेवा गतिविधियों की विशेष जानकारी हेतु संपर्क करें:
# 7742093179, 7665059999, 7073000151